सच्ची घटना
एकता ज्योति संवाददाता
लेखिका डॉ हर्ष प्रभा उत्तर प्रदेश गाज़ियाबाद
समाज सेविका पर्यावरणविद एवं लेखिका
गाजियाबाद। चरित्रहीन नाम सुनते ही लोगों के कान खड़े हो जाते है!मन में तुरंत एक ही चित्र सामने आता है,वह है चरित्रहीन महिलाओं का चित्र! और इन महिलाओं का फैसला भी समाज के कुछ सामाजिक तत्व ही करते हैं!चरित्रहीन की यह उपाधि समाज के कुछ महान महानुभवओ के द्वारा ही महिलाओ को दी जाती है,जो सरपंच होते हैं,जो फैसला करते हैं,सरपंच की हां में हां बाकी के लोग भी मिलाते हैं कि जैसे सब दूध के धुले हुए हो!
बहुत पुरानी बात है,जब मैं, तुम और आप सब नहीं थे, तब की बात है!गौतम बुद्ध एक गांव में गए! वहा वह एक पेड़ के नीचे बैठकर तपस्या करने लगे!शरीर पर गेरुआ रंग और किशोरावस्था! ऐसी किशोरावस्था में गेरूआ रंग धारण कर लेना और ज्ञान की खोज में निकल पड़ना यह किसी साधारण इंसान के कार्य नहीं थे! यह तो किसी ज्ञानी पुरुष और सिद्ध आत्मा के ही कार्य हो सकते थे! जो महलों के सुख को छोड़कर,गेरूआ रंग धारण करके ज्ञान की खोज में,एक गांव से दूसरे गांव निकल पड़े थे!
जब इस गांव में पेड़ के नीचे बैठे गौतम बुद्ध तपस्या कर रहे थे, तब एक महिला वहां आती है,और गौतम बुद्ध से पूछती है कि आप किशोरावस्था में तपस्या कर रहे हैं,आप किस चीज की खोज कर रहे हैं! तब गौतम बुद्ध ने इस महिला के प्रश्न का उत्तर दिया!मैं महल में रहकर यही सोचता रहा कि यह सुंदर यौवन शरीर बीमार भी होगा और बूढ़ा भी होगा और फिर एक दिन मृत्यु को प्राप्त हो जाएगा, मुझे बुढ़ापे बीमारी और मृत्यु के कारण के बारे में जाना है इसलिए मैंने यह गेरुआ वस्त्र धारण किया है, महल और सांसारिक सुख को छोड़कर!
गौतम बुद्ध की यह सब बातें सुनकर वह महिला बहुत प्रभावित हुई गौतम बुध से!और गौतम बुद्ध को अपने घर खाने पर निमंत्रण दे दिया इस महिला ने! गौतम बुद्ध ने भी निमंत्रण को स्वीकार किया! और उस महिला के साथ चल दिए उसके घर भोजन के लिए! जब रास्ते में गांव के लोगों ने गौतम बुद्ध को इस महिला के साथ जाते हुए देखा तो,सब के सब देखकर चकित और हैरान रह गए और सब ने रास्ते में ही गौतम बुद्ध को रोककर कहा, कि यह महिला तो चरित्रहीन है? आप इसके घर भोजन कैसे कर सकते हैं! यह तो पूरे गांव का अपमान होगा कि आपको एक चरित्रहीन महिला के घर ही भोजन क्यों करना पड़ा! क्या गांव के सब लोग मर गए हैं!
यह सब सुनकर गौतम बुद्ध ने गांव वालों को उत्तर दिया कि आप गांव के सरपंच को बुलाए! गांव के सरपंच को बुलाया गया और गौतम बुद्ध ने गांव के सरपंच से पूछा कि क्या सच में यह महिला चरित्रहीन है? सरपंच ने लोगों की हां में हां मिलाते हुए गर्दन हिला दी कि हां यह महिला चरित्रहीन है!
अब यह सब सुनकर गौतम बुद्ध ने सरपंच का एक हाथ बांध दिया! और सरपंच से कहा कि ताली बजाओ! सरपंच ने गौतम बुद्ध से कहा कि आप इतने ज्ञानी और महाअनुभव होकर भी कैसी उल्टी बातें कर रहे हैं, एक हाथ से कभी ताली बजी है क्या कभी? गौतम बुद्ध ने फिर से कहा, कि कोशिश करके तो देखो हो सकता है बज जाए! गांव के सभी लोग और सरपंच गौतम बुद्ध को कहने लगे कि महाराज इस चरित्रहीन महिला ने आपकी भी बुद्धि भ्रष्ट कर दी है शायद, इसलिए आप ऐसी उल्टी बातें कर रहे हैं आज!
गौतम बुद्ध ने सरपंच से कहा कि जब आप एक हाथ से ताली नहीं बजा सकते तो, यह अकेली महिला भी चरित्रहीन कैसे हो सकती है?तुम सब गांव के लोग भी फिर चरित्रहीन हुए! यह सब सुनकर गांव के लोग कहने लगे कि हमारी बात समझ में नहीं आई महाराज आपकी! गौतम बुद्ध ने आगे कहा कि जिस तरह से एक हाथ से तुम ताली नहीं बजा सकते,उसी तरह से यह अकेली महिला चरित्रहीन नहीं हो सकती है, यह अकेली कुछ नहीं कर सकती थी,अगर तुम लोग सही होते तो, यह चरित्रहीन नही होती आज!इसलिए पहले तुम पुरुष लोग चरित्रहीन हुए, तब बाद में यह महिला चरित्रहीन हुई!
यह सब बातें सुनकर सब की गर्दन शर्म से नीचे झुक चुकी थी! और अपने लिए यह सम्मान देखकर और सच्चाई सुनकर,उस महिला का आत्मविश्वास खुद पर बढ़ गया था, कि अच्छे इंसान आज भी इस दुनिया में है!
गौतम बुद्ध ने उस महिला से कहा कि जल्दी चलो मुझे भोजन नहीं खिलाओगी क्या?और गौतम बुद्ध उस महिला के साथ भोजन के लिए प्रस्थान कर चुके थे उसकी छोटी सी कुटिया में, बड़े बड़े गांव के सरपंच,पंच और लोगों के महल को छोड़कर!