- इस बार के विश्व तंबाकू निषेध दिवस की थीम पर्यावरण की रक्षा करें है
एकता ज्योति संवाददाता
गाजियाबाद। प्रसिद नाक, कान व गला विशेषज्ञ डॉ बी पी त्यागी ने कहा कि तंबाकू से जान को ही नहीं पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचता है। इससे मिट्टी का क्षरण होता है, जिससे फसलों को नुकसान होता है। डॉ बी पी त्यागी ने कहा कि अनुमानित रूप से 4.5 ट्रिलियन सिगरेट बट्स हर साल पर्यावरण को प्रदूषित करते हैं। सिगरेट फिल्टर सिंगल यूज प्लास्टिक हैं जिन्हें सड़ने में सालों लग जाते हैं। उनसे हमारे चारों ओर ढेर लग जाते हैं और पानी और मिट्टी में रसायनों का रिसाव करते हैं। तंबाकू का नियमित सेवन हमारे पर्यावरण के लिए खतरा है। क्योंकि तंबाकू उद्योग जलवायु परिवर्तन और पारिस्थितिक तंत्र को नुकसान पहुंचाता है। विश्व में हर साल तंबाकू उगाने में लगभग 3.5 मिलियन हेक्टेयर भूमि नष्ट हो जाती है।
खासकर विकासशील देशों में तंबाकू उगाने के लिए वनों की कटाई की जाती है। विश्व तंबाकू निषेध दिवस पर डॉ बी पी त्यागी ने बताया कि 1988 से हर 31 मई को विश्व तंबाकू निषेध दिवस मनाया जाता है। इस बार इसकी थीम पर्यावरण की रक्षा करें रखी गई है, जिससे तंबाकू छोड़ने का एक अतिरिक्त कारण मिल सके। इसका उद्देश्य दुनिया भर में तंबाकू के सेवन से होने वाली बीमारियों और मौतों को कम करना है। उन्होंने बताया कि तंबाकू के सेवन से हर साल 80 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो जाती है। वर्ष 2030 तक यह आंकड़ा बढ़कर 8 मिलियन से अधिक होने की उम्मीद है। एक सिगरेट हमारे जीवन के 11 मिनट छिन लेती है व वातावरण को दूषित करती है । भारत में तम्बाकू का प्रयोग बीड़ी, हुक्का, सिगरेट, गुटखा, पान, सुरती, गुलमँजन आदि में होता है, जो कैंसर का मुख्य कारण है । पैसिव स्मोकिंग ; सेकेंड हैंड स्मोकद्ध हर साल 6 लाख लोगों की जान लेता है और एक तिहाई वयस्क दुनिया भर में सेकेंड हैंड स्मोकिंग के संपर्क में आते हैं। निष्क्रिय धूम्रपान मुख्यधारा के तंबाकू के धुएं की तुलना में 3.4 गुना अधिक जहरीला होता है क्योंकि निष्क्रिय धूम्रपान से जहरीले रसायन कालीनों, पर्दे, कपड़े, भोजनए फर्नीचर और अन्य सामग्री से चिपक जाते हैं।
ये विषाक्त पदार्थ खिड़कियों, पंखे या एयर फिल्टर में पाए जाते है ओर उन्हें तीसरे हाथ के धुएं के रूप में जाना जाता है। इससे वयस्कों में हृदय.संवहनी रोग, फेफड़े और अन्य कैंसर, अस्थमा और श्वसन संबंधी रोग हो सकते हैं। अस्थमा और अन्य श्वसन रोग, कान में संक्रमण और बच्चों में अचानक शिशु मृत्यु सिंड्रोम आदि का कारण भी तंबाकू ही है।