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पुराने उदाहरणों से समझा बता कर इस घोर कलयुग में दुःख पाते मनुष्य को इस समय के जाग्रत नाम से जोड़ कर तकलीफों के स्थाई समाधान का उपाय बताने वाले, समय के समर्थ महापुरुष समय के पूरे गुरु सतगुरु, नामदान देने के एकमात्र अधिकारी त्रिकालदर्शी दुःखहर्ता परम् दयालु सन्त सतगुरु उज्जैन के बाबा उमाकान्त जी ने 24 जून 2022 को ग़ाज़ियाबाद (उ.प्र.) में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि देखो जिस रावण के सामने बड़े-बड़े देवता नहीं टिकते थे उसे बंदर और भालू ने परास्त कर दिया। इतने बड़े राक्षस जो बड़े-बड़े भैंसा, ऊंट को निगल जाते थे। पहले 21-21 हाथ के आदमी होते थे। अब कलयुग में तो अपने हाथ से साढ़े तीन हाथ का ही आदमी होता है। तो उनके सामने बंदर और भालूओं की क्या कीमत थी? लेकिन विश्वाश बढ़ाया उन्होंने। कहते हैं-
मन के हारे हार है मन के जीते जीत।
पारब्रह्म को पाइए मन ही के प्रतीत।।
जब आदमी हिम्मत करता है तो पहाड़ पर चढ़ जाता है। ऐसे ही उन्होंने हिम्मत बांधा। कैसे?

बंदर भालुओं ने जब नाम की शक्ति अनुभव की तब विश्वास हुआ

जब लंका पर विजय प्राप्त करने के लिए जाने को हुआ बोले कैसे जाया जाएगा? वहां राम ने कहा जाना तो पड़ेगा तभी दुष्टों का विनाश होगा। बोले पुल बनाओ। बोले बनाने के लिए मसाला नहीं है। कहा पत्थर के ऊपर राम-राम लिखकर समुन्द्र में डालो। सारे पत्थर तैरने लगे, पुल बन गया और उसी पर चढ़ाई कर के गए। तो उनकी हिम्मत बंधा। शक्ति का अनुभव हुआ की पत्थर पर लिख देने से पत्थर तैरने लगे। केवल राम नाम लिख देने में इतनी ताकत तो राम कौन होंगे, जिनके मुंह से आवाज निकली, यह तो हमारी जान बचाएंगे ही, यह तो समर्थ हैं। विश्वास कर लिए देखो। ऐसे ही अभी कलयुग में वक़्त का पूरा जगाया हुआ नाम जयगुरुदेव है जो शाकाहारी सदाचारी नशामुक्त के लिए संकट में मददगार है।

द्वापर में उस समय के जगाये हुए नाम कृष्ण में शक्ति थी

जिस जिस ने कृष्णा को पुकारा कृष्ण खड़े हुए मिले। जब सन्त आए तो सन्त ने भी नाम को जगाया। कबीर साहब ने सत साहेब नाम जगाया। नानक जी ने वाहेगुरु नाम जगाया। जब नानक जी ने गुरु के जलवा को अंतर में देखा, वाहेगुरु वाहेगुरु बोले तो उसी में ताकत आ गई। शिवदयाल जी ने राधास्वामी नाम बताया। हमारे गुरु महाराज ने जयगुरुदेव नाम जगाया जिनका फोटो लगा है। फोटो क्यों लगाया जाता है कि गुरु का रूप भूल न जाये, देखकर याद आ जाये।

सन्तमत में गुरु ही सब कुछ होते हैं

कहा गया है-
गुरुर ब्रह्मा गुरु विष्णु गुरु देवो महेश्वरा।
गुरुर साक्षात परब्रह्म तस्मै श्री गुरुवे नमः।।
गुरु ही सब कुछ होते हैं।
गुरु गोविंद दोऊ खड़े काके लागे पाय।
बलिहारी गुरु आपने जिन गोविंद दियो लखाय।।
गुरु की बड़ी महिमा है-
जय जय जय हनुमान गोसाई।
कृपा करो गुरुदेव की नाई।
बंदउँ गुरु पद कंज कृपा सिंधु नररूप हरि।
आप समझो गुरु का स्थान सबसे ऊपर होता है, सबसे पहले गुरु का ही ध्यान किया जाता है। इसलिए समय के समर्थ महापुरुष समय के पूरे गुरु सतगुरु को खोजो और अपना मानव जीवन सफल बना लो।

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