Fri. Apr 19th, 2024
  • कहा, ब्राह्मणों के विरुद्ध समाज में नकारात्मकता फैलाई जा रही है  

एकता ज्योति संवाददाता
गाजियाबाद। विश्व ब्रह्मर्षि ब्राह्मण महासभा के संस्थापक राष्ट्रीय अध्यक्ष ब्रह्मर्षि विभूति बीके शर्मा हनुमान ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत के बयान की निंदा की है। बी के शर्मा हनुमान ने कहा कि आज ब्राह्मणों के विरुद्ध समाज में नकारात्मकता फैलाई जा रही है। बी के शर्मा हनुमान ने कहा कि मुंबई में संत शिरोमणि रविदास की जयंती पर आयोजित कार्यक्रम में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि ऊंच-नीच की श्रेणी भगवान ने नहीं, पंडितों ने बनाई है। कितने दुर्भाग्य की बात है कि जिन लोगों ने भारत को लूटा, तोड़ा व नष्ट किया, वे आज इस देश में सम्मानित हैं और एक अच्छा जीवन जी रहे हैं। जिन्होंने भारत की मयार्दा को खंडित किया, उसके विश्वविद्यालय को विध्वंस किया।
उसके विश्व ज्ञान के भंडार पुस्तकालय को जलाकर राख किया, उन्हें आज के भारत में सब सुविधाओं से युक्त सुखी जीवन मिल रहा है किंतु वे ब्राह्मण जिन्होंने सदैव अपना जीवन देश धर्म और समाज की उन्नति के लिए अर्पित किया, उन्हें काल्पनिक पुराने पापों के लिए दोषी ठहराया जा रहा है। ब्राह्मण विरोध का यह काम पिछले दो दशकों से चल रहा है। आज के ब्राह्मण की वह स्थिति है, जो नाजियों के राज्य में यहूदियों की थी। ब्राह्मणों की इस दुर्दशा से किसी को भी सरोकार नहीं है। जो राजनीतिक दल हिंदू समर्थक माने गए हैं, उन्हें भी ब्राहमणों से कोई लेना-देना है। सबने हम ब्राह्मणों के साथ सिर्फ छलावा ही किया है। मुनि वशिष्ठ, महर्षि बाल्मिकी, कबीरदास, विवेकानंद आदि इनमें कोई भी ब्राह्मण नहीं है तो फिर ब्राह्मणों के ज्ञान और विद्या पर एकाधिकार का प्रश्न ही उत्पन्न नहीं होता। भारत के स्वर्णिम युग में ब्राह्मण को यथोचित स्थान दिया जाता था, इसी कारण समाज में व्यवस्था भी ठीक रहती थी। सदा से विश्व भर में जिन-जिन क्षेत्रों में भारत का नाम सर्वोपरि रहा और आज भी है वह सब ब्राह्मणों की ही देन है। अध्यात्म, योग प्राणायाम आयुर्वेद आदि ब्राह्मणों की ही देन है। यदि वे जरा भी स्वार्थी होते तो यह सब अपने या अपने कुल के लिए ही रखते, दुनिया को मुफ्त में बांटने की बजाय उनकी कीमत वसूलते। वेद पुराणों के ज्ञान विज्ञान को अपने मस्तक में धरने वाले व्यक्ति ही ब्राह्मण कहे गए हैं।
आज उनके यह सब योगदान भूलकर हम उन्हें दोष देने में लगे हैं। जिस ब्राह्मण ने हमें वसुदेव कुटुंबकम जैसा मंत्र दिया वह किसी को दुख कैसे पहुंचा सकता है। जो सकल जगत की कामनाएं करने का उपदेश देता है वह ब्राह्मण स्वार्थी कैसे हो सकता है। इन प्रश्नों को साफ मन से बिना पक्षपात के विचार किए जाने की आवश्यकता है। आज का ब्राह्मण नेताओं के स्वार्थ समाज के आरोपों और देशद्रोही तत्वों के षड्यंत्र का शिकार हो रहा है। आज के ब्राह्मणों की स्थिति का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि बनारस के अधिकांश रिक्शा वाले ब्राह्मण हैं। दिल्ली के रेलवे स्टेशन पर ब्राह्मण कुली का काम कर रहे हैं।

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